Last modified on 3 नवम्बर 2013, at 14:08

अच्छा हुआ किनारा कटाव में आ गया / अफ़ज़ल गौहर राव

सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:08, 3 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अफ़ज़ल गौहर राव }} {{KKCatGhazal}} <poem> अच्छा ह...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अच्छा हुआ किनारा कटाव में आ गया
दरिया रूका हुआ था बहाओं में आ गया

करवट बदल के साँस लिया था ज़मीन ने
और आसमान यूँही तनाव में आ गया

हैरत है चंद बर्फ़ के फूलों के बोझ से
किस तरह ये पहाड़ झुकाव में आ गया

चौपाल की भड़कती कहानी के शौक़ में
क्या जाने कौन कौन अलाव में आ गया

सोचा था अब की बार किनारे पे जाऊँगा
दरिया भी मेरे साथ ही नाव में आ गया