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अच्छा हुआ किनारा कटाव में आ गया / अफ़ज़ल गौहर राव

अच्छा हुआ किनारा कटाव में आ गया
दरिया रूका हुआ था बहाओं में आ गया

करवट बदल के साँस लिया था ज़मीन ने
और आसमान यूँही तनाव में आ गया

हैरत है चंद बर्फ़ के फूलों के बोझ से
किस तरह ये पहाड़ झुकाव में आ गया

चौपाल की भड़कती कहानी के शौक़ में
क्या जाने कौन कौन अलाव में आ गया

सोचा था अब की बार किनारे पे जाऊँगा
दरिया भी मेरे साथ ही नाव में आ गया