Last modified on 23 दिसम्बर 2017, at 12:53

अच्छी बातें लग जाती हैं यार बुरी / दीपक शर्मा 'दीप'

 

अच्छी बातें लग जाती हैं यार बुरी
यानि-यानि हाँ-हाँ जी सरकार बुरी

इसे सँभाले रखना इतना आसां है?
जब-तब नीचे आती है 'दस्तार' बुरी

माना उलझन ख़ून जलाती है बेशक़
लेकिन यों भी नहीं मियाँ बेकार-बुरी

लम्हे-भर में बरसों का ख़ूँ होता है
कान बुरा है या कि फिर दीवार बुरी?

कश्ती-लंगर-दरिया-मौजें और भँवर
सब अच्छे हैं 'दीप' मगर पतवार बुरी