Last modified on 27 सितम्बर 2020, at 23:45

अच्छे दाम‌ / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

खाली पेट, चाहता रोटी,
भरा पेट आराम।
किंतु बात यह सच है भाई,
हाथ चाहता काम।

लगे रहे अनवरत काम में,
उन्हें मिला है नाम।
श्रम के सीकर रंग बिरंगे,
बाकी काले श्याम।

मन में द्वेष भावना लेकर,
करो सड़क मत जाम।
पेड़ों की संख्या में क्या है,
मतलब तो है आम।

सही आंकलन भले बुरे का!
हमीं रहे नाकाम।
फल उसमें भी लगे रहे हैं,
क्यों खजूर बदनाम।

छोटे बड़े काम सब अच्छे,
रखो काम से काम।
श्रद्धा निष्ठा, कठिन परिश्रम,
देते अच्छे दाम।