Last modified on 28 मई 2016, at 10:02

अच्छे दिन / कृष्ण कल्पित

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:02, 28 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृष्ण कल्पित |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अच्छे दिन जब आएँगे
गाजे-बाजे के साथ आएँगे

वे आएँगे हाथी पर सवार होकर

बजती रहेगी दुन्दुभि

उड़ती रहेगी धूल

एक कुचलते हुए कारवाँ की तरह आएँगे अच्छे दिन
लहू से लथ-पथ

ग़रीबों को कुचलता हुआ
सूखे हुए खेतों से गुज़रता हुआ
एक विक्रान्त-विजय-रथ

तमाशा ज़ोर होगा
कुछ ही दिनों में गुज़रेगा राजपथ से
अच्छे दिनों का जुलूस

देर तक उड़ती रहेगी जिसकी ख़ाक !