भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अच्छे लड़के / महेन्द्र भटनागर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

.
हम बालक हैं, हम बन्दर हैं,
हम भोले-भाले सुन्दर हैं !
.
हर रोज़ सुबह उठ जाते हैं,
मुँह धोकर बिस्कुट खाते हैं !
.
  दो कप चाय गरम जब मिलती
तब यह सूरत जाकर खिलती !
.
फिर, पंडितजी से पढ़ते हैं,
हम नहीं किसी से लड़ते हैं !
.
माँ के कहने पर चलते हैं,
ना रोते और मचलते हैं !
.
दिन भर हँसते-गाते रहते,
भारत-माता की जय कहते !
.
हम रहते भाई मिल-जुल कर
हो भला हमें फिर किसका डर ?