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अजनबी आँखें / अली सरदार जाफ़री

104 bytes added, 13:09, 15 सितम्बर 2009
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|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
|संग्रह=मेरा सफ़र / अली सरदार जाफ़री
}}
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<poem>
सारी शामें उनमें डूबीं
सारी रातें उनमें खोयींखोईं
सारे साग़र उनमें टूटे
सारी मय
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