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अटकी पीरे पटवारे सैं / ईसुरी

अटकी पीरे पटवारे सैं।
प्रीत पिया प्यारे सैं।
निसदिन रात दरस की आसा,
लगी पौर व्दारे सैं।
कैसे, प्रीत बड़े भय छूटैं,
संग खेली बारे सैं।
विसरत नई भोत बिसराई,
बसीं दृगन तारे सैं।
ईसुर कात मिलैं मन मोहन,
पूरव तन गारे सैं।