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अठारह / बिसुआ: फगुआ / सान्त्वना साह

चैत हे सखी मदमालक मैया, भिनसर रोधना पसार हे
धनसर फुनसर करै, शीतल अरजिया, सुत बिनु भौजी केॅ कचार हे।

बैसाख हे सखी ओला बरफ के, टहनी टिकोला दै झाड़ हे
अंधड़ झक्खर मेॅ, उड़ै छपरिया, आमोॅ गाछी तर पथार हे।

जेठ हे सखी वनो मेॅ तलफल, हाथी घोड़ा हिरन साल हे
एकसर मैदानो में, गैया बछोरिया, पछिया सुखाबै कमल ताल हे।

अषाढ़ हे सखी तीरथ घर ऐंगना, तुलसी के चौरा सोहान हे
विष्णु के प्रिय सखी, जनमै सघ्ज्ञन वन, चारो वेद गावै जिनको गान हे।

सावन हे सखी राखी के मोल बुझी, बंधन के आदर सत्कार हे
लाज बचावै दौड़ी, भैया कन्हैया, सभा बीच द्रौपदी पुकार हे।

भादो हे सखी अनन्त चतुर्दशी, डोरा बन्हावै कथा जान हे
मथी केॅ क्षीर समुद्र, खोजी अनन्त भगवन, चौदह रतन गुण खान हे।

आसिन हे सखी शैलपुत्री बह्मचारी, चन्दघंटेति कुष्मांडेति
स्कन्दमाता कात्यायिनी, कालरात्रि महागौरी सिद्धिदात्री रूप पूजाय हे।

कातिक हे सखी जेवठान एकादशी, दैबा जगाबै गिरथायैन हे
अरपन सेॅ चौंक पारै, विष्णु चरनमा, कोठी खड़ाऊँ फूल पान हे।

अगहन हे सखी ढकमोरै कमलिनी, बाबा पोखरिया चहूँ ओर हे
छटपट मछरिया, साँझो के बेरिय, अन्तिम पहरिया झीकाझोर हे।

पूस हे सखी चानन चौबटिया मंजर लगावै छै घूर हे
गोष्ठी सम्मेलन आरो अधिवेशन जुकती मेॅ विमल अमरेन्द्र हे।

माघ हे सखी सप्तमी शुक्ला, सूरज पूजै के विधान हे
अचला सप्तमी दिना करै उपासा, गंगा संगम असनान हे।

फागुन हे सखी ढोलक मृदंग बाजै, आरो बाजै करताल हे
गाल गुलाल मली, थपड़ी बजावै, झाल मंजीरा पर ताल हे।