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"अड़चनें भी खू़ब हैं तो आशिक़ी भी खू़ब है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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गर जवानी खू़ब है तो सादगी भी खू़ब है
 
गर जवानी खू़ब है तो सादगी भी खू़ब है
  
इससे ज़्यादा अपने बारे में कहूँ मैं और क्या
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इससे ज़्यादा अपने बारे में कहें हम और क्या
 
दिल भी है दरिया हमारा, बेबसी भी खू़ब है
 
दिल भी है दरिया हमारा, बेबसी भी खू़ब है
 
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14:08, 17 नवम्बर 2020 के समय का अवतरण

अड़चनें भी खू़ब हैं तो आशिक़ी भी खू़ब है
मुश्किलें भी खू़ब हैं तो ज़िंदगी भी खू़ब है

किस तरह से निभ रही इसको ख़ुदा ही जानता
दुश्मनी गर खू़ब है तो दोस्ती भी खू़ब है

इस शहर से जो शिकायत आपकी वाज़िब है वो
हर तरफ छाया धुआँ पर रोशनी भी खू़ब है

किस क़दर मजबूर हूँ कितना नचाती वो मुझे
फिर भी दीवाना हूँ उसका वो परी भी खू़ब है

बस इसी से हुस्न पर उसके फ़िदा हूँ दोस्तो
गर जवानी खू़ब है तो सादगी भी खू़ब है

इससे ज़्यादा अपने बारे में कहें हम और क्या
दिल भी है दरिया हमारा, बेबसी भी खू़ब है