भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अणी ए गणी मेरी नणदी मनरा फिरै / हरियाणवी

Kavita Kosh से
अजय यादव (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:48, 26 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=हरियाणवी }} <poem> अणी ए गणी …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अणी ए गणी मेरी नणदी मनरा फिरै
मेरी नणदी मनरे नै ल्याओ रे बुलाय
चूड़ा तै मेरी जान,
चूड़ा तै हाथी दाँत का

हरी तै चूड़ी री नणदी ना पहरूँ
हरे मेरे राजा जी के खेत
बलम जी के खेत
चूड़ा तै हाथी दाँत का

काणी तै चूड़ी री नणदी ना पहरूँ
काणे मेरे राजा जी के केश
बलम जी के केश
चूड़ा तै हाथी दाँत का

धौणी तै चूड़ी री नणदी ना पहरूँ
धौणे मेरे राजा जी के दाँत
बलम जी के दाँत
चूड़ा तै हाथी दाँत का