Last modified on 21 मई 2014, at 15:44

अति सूख सुरत किये / सूरदास

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:44, 21 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhajan}} {{K...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अति सूख सुरत किये ललना संग जात समद मन्मथ सर जोरे ।
राती उनीदे अलसात मरालगती गोकुल चपल रहतकछु थोरे ।
मनहू कमलके को सते प्रीतम ढुंडन रहत छपी रीपु दल दोरे ।
सजल कोप प्रीतमै सुशोभियत संगम छबि तोरपर ढोरे ।
मनु भारते भवरमीन शिशु जात तरल चितवन चित चोरे ।
वरनीत जाय कहालो वरनी प्रेम जलद बेलावल ओरे ।
सूरदास सो कोन प्रिया जिनी हरीके सकल अंग बल तोरे ॥