Last modified on 21 जुलाई 2011, at 03:11

अदब से / विजय गुप्त

खेत में
गर्व से दिप-दिप
खड़ी है
शिशु रोएँवाली
भिंडी

संभलना,
अदब से छूना
हरेपन के उजास को ।