भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अदब से / विजय गुप्त

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:11, 21 जुलाई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजय गुप्त |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> खेत में गर्व से द…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खेत में
गर्व से दिप-दिप
खड़ी है
शिशु रोएँवाली
भिंडी

संभलना,
अदब से छूना
हरेपन के उजास को ।