http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%A6_/_%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%B7_%E0%A4%AE%E0%A5%82%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BE&feed=atom&action=historyअधूरा चाँद / मनीष मूंदड़ा - अवतरण इतिहास2024-03-28T17:02:35Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%A6_/_%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%B7_%E0%A4%AE%E0%A5%82%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BE&diff=273267&oldid=prevसशुल्क योगदानकर्ता ५: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनीष मूंदड़ा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2020-03-19T17:57:15Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनीष मूंदड़ा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
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|रचनाकार=मनीष मूंदड़ा<br />
|अनुवादक=<br />
|संग्रह=<br />
}}<br />
{{KKCatKavita}}<br />
<poem><br />
मेरे चाँद पर कभी दो पल ठहर के देखो <br />
तुम्हारी ही ओर तकता रहता है <br />
मेरे काँधे पर रुकता चलता <br />
मुझसे तुम्हारी ही बातें करता रहता है <br />
मुझसे तुम्हारे कभी होने <br />
कभी न होने का सबब पूछता है <br />
और मैं कुछ नहीं बोल पाता <br />
सिर्फ उसमें तुम्हारी तस्वीर उकेरता रहता हूँ <br />
<br />
(कुछ रिश्तों का गवाह सिर्फ़ चाँद ही तो होता है <br />
तभी तो सबको पूरा कर <br />
खुद अधूरा रहता है...) <br />
</poem></div>सशुल्क योगदानकर्ता ५