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अधूरी कहानी / रमेश क्षितिज / राजकुमार श्रेष्ठ

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वो अन्त नहीं जैसा तुमने सोचा
अभी और नए पात्र फिर दिखेंगे रंगमंच पर
आएगा एक और नया मोड़
मध्यान्तर के बाद — फिर छलकेगा नया रंग
और तुम्हारे सिर पर गिरेंगी प्रकाश की फुहारें

कहानी अभी अधूरी है !

निराशा की धुँध से ढके शिखर के फ़ौक से
बदरिया खीरे को चट से चीरती निकलेगी
फाँसुल-सा सूरज
और तुम्हारे होठों पर खिलेंगी मृदु मुस्कान की कोपलें

बदलेंगी आँखों से होते हुए बहते बरसाती दिन,
थमेगा फ़लक में बिजली गरजने का जनयुद्ध
चैत की शदीद गर्मी में गाहे-बगाहे छूकर जाने वाली
सर्द हवाओं-सी
इक नई चेतना उभरेगी इर्द-गिर्द,

घर पहुँचकर आँगन से
ख़ुशी से चिल्लाएगा भरोसा खो चुका अपहृत बालक
ग़लीचे पर अचानक मिलेगी वर्षों पहले खो चुकी
किसी के द्वारा उपहार में भेंट की गई अंगूठी

जीवन का दूसरा नाम है सम्भावना !

फिर होंगी रहस्यमयी घटनाएँ
एक के बाद एक परिवर्तन की सीढ़ी चढ़ते पहुँचोगे
तुम इक और नए शिखर पर
और देखोगे प्रिय सपने फैले उफ़ुक

जब तक है जान
किसी भी वक्त मिल सकते हैं देवदूत-से फ़रिश्ते !

रास्ता भटककर जंगल-ही-जंगल दौड़ते वक़्त
ख़ुद आ सकता है लेने कोई दयावान छोर
नींद में चल रहा आदमी अचानक जागते
पाता है जैसे अलग ही मंज़र
ज़िन्दगी रच सकती है इक नया संसार

गोल हो सकता है खेल के उत्तरार्ध में
जीत हो सकती है समय के अन्तिम पड़ाव में

पत्तियाँ फिर बौराएँगी पेड़ों पर — फिर लौटेगा वसन्त
फिर दिखेंगे हँसमुख चेहरे वाले मुसाफ़िर इसी राह
पुननिर्माण होगा खण्डहरोअं का और बोये जाएँगे नए पौधे
कुछ भी हो सकता है, कुछ भी हो सकता है !

उम्मीदों और सपनों के झण्डे लहराते
कंधों पे उठाकर नई सुबह
खड़ा होगा हमारे समीप
देखते ही रहें जैसा कोई क्रांति नायक

कौन कहेगा कि वो तुम नहीं ?

मूल नेपाली भाषा से अनुवाद : राजकुमार श्रेष्ठ