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अनजान महिला के फोन आने पर / सरोज कुमार

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तुम्हारे लिए
समय गुजारने जैसा है शायद
पर मैं
रोज-रोज इतवार नहीं हूँ
शायद था कभी
कैलेण्डर में सातों दिन
इतवार,इतवार इतवार.....
ऐसे इतवारों में रची-बसी काविताएँ
पढ़कर ही आता है
यह फोन,
न जाने कौन,
हो तुम
एक आवाज के बहाने!

इधर मुझमें मुरझा गई है
इतवार कि ऋतु
पपड़ा गई हैं
फुरसती अंगड़ाइयाँ,
झील
नीली आँख वाली थी जहाँ पर
खण्डहर हैं
और सुनी खाइयाँ!

एक आदमी में होते हैं
हजार-हजार परायेपन
कसे हुए बाहर से
खुले हुए भीतर से!
ऐसे पनों से पराजित
अदने आदमी के लिए
बेशकीमती होता है
अपनापन
तालों में लुका रखने लायक!
यह बात
मुझ पर लागू होती है
तुम पर भी हो सकती है
दोनों के अपने-अपने अपनेपन
खतरे में हैं!

तुम्हारे नाम, धाम,
रुप,रस
गंध, काम,
तुम्हारी समूची अस्मिता अगर है.....
अगर क्यों
वह तो सुनिश्चित होगी ही,
तो शब्द-शेतु टेलीफोन
सँकरा है, बहुत सँकरा
सिमट-सिमट
बच-बचकर
किस्तों में भी,
मुझसे तो
पार नहीं हो पाएगा!
फिर, निरी आवाज से
बात नहीं हो सकती!
मैं गरजते बादल से,
बात कर सकता हूँ!
कर सकता हूँ बात,
कूकती कोयल से,
रोते हुए बच्चे से,
कलकवती नदी से भी!
बादल, कोयल, बच्चे और नदी से
मेरे रिश्ते पुराने हैं!

फिर तुम
दो टूक आवाज भी तो नहीं,
आवाज की
ठुमकती पतंग हो!
पतंग कहने भर को होती है हवा की
दिखने भर को
होती है आकाश की,
होती है सिर्फ
उड़ाने वाले की,
जिसे चाहे जब चाहे
वापस खींच लेता है
अपनी अलमारी के पीछे
टाँग देने को!

तूम उसकी आवाज हो
जो तुम्हारे होने में
अनुपस्थित है!
तुम मुझमें
वह पढ़ने को आतुर हो
जो मुझ पर ही मिट चुका है!
तुमने जो पढ़ा है मुझ पर
मैं उसे नकारता नहीं हूँ,
जैसे मैं
नकार नहीं सकता
अपने बचपन को!
पर बचपन जैसे मिट गया है,
वे शब्द भी
धुँधला गए हैं!

धुंधलाए शब्दों के अर्थ अगर
तुममें
कहीं कुछ धुकपुकाते हैं
उन्हें तुम अगर
दुहराती हो,
तो वजह साफ है
कि उनमें तुम कहीं
अपने को पाती हो!

ताजमहल में
किसी को अपनी
छबि का अहसास हो
तो इतिहास को
टेलीफोन करने से
उसे
कैसे मना किया जा सकता हैं?
शाहजहाँ कि संभावनाएँ
अनन्त हैं!
तुम्हें इस बात का अफसोस है
कि मैंने तुम्हारे बारे में
कुछ नहीं पूछा!

मैं नहीं पूछूंगा,
पूछने बताने की
कोई खास अहमियत
नहीं रह गई है,
आत्मीयता के इस भ्रामक समय में!

अखबार मुझे
रोज हजार- हजार बातें
बिना पूछे बता जाते हैं!
पूछना बताना अखबारी है!
महसूसना जरूर व्यक्तिगत प्रसंग है,
अन्यथा जिन्दगी
उतनी हसीन
जितनी निस्संग है!