Last modified on 24 जून 2007, at 01:07

अनमने दिन / अनिल जनविजय

Lina niaj (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 01:07, 24 जून 2007 का अवतरण


दिन बीते

रीते-रीते

इन सूनी राहों पे


मिला न कोई राही

बना न कोई साथी

वन सूखे चाहों के


याद न कोई आता

न मन को कोई भाता

घेरे खाली हैं बाहों के


कलप रहा है तन

जैसे भू-अगन

दिन आए फिर कराहों के


(रचनाकाल : 2005)