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अनाम कलाकारों केनाम / विनोद शर्मा

सलाम उन महान कलाकारों को
उकेरे जिन्होंने दुर्लभ चित्र
अजंता और एलोरा की गुफाओं की दीवारों पर

और नाम और दाम के पीछे
बेतहाशा दौड़ते हुए लोगों की
इस पागल दुनिया के गाल पर जड़ते हुए
एक करारा तमाचा हो गए गायब
गुमनामी के अंधेरों में न छोड़ते हुए
किसी के लिए भी कोई सूत्र
पहुंचने का अपनी पहचान तक

क्या कालजयी कृति के अमर कृतिकार
होने के भ्रम की संभावना
मायावी आत्ममुग्धता के अदृश्य जाल
में फंस जाने का पूर्वाभास
या फिर अपने प्रभामंडल की दिव्य
रोशनी की चकाचौंध में
इन चित्रों में व्याप्त रोशनी के
धूमिल पड़ जाने की आशंका के कारण
लिया था उन्होंने
अपनी पहचान को गुप्त रखने का निर्णय?

या फिर शायद
वे जान चुके थे
कि समय और परिवर्तन के अटूट
नियमों से बंधी सृष्टि भी
मल्टीकलर, मल्टीस्टार कास्ट
से सजी, समय की एक लम्बी फिल्म के,
फ्रीज के, एलबम से ज्यादा कुछ नहीं

और ‘कालजयी कृति’ और ‘अमर कलाकार’
जैसे खोखले शब्द
सर्कस के विदूषक के चुटकुले से
ज्यादा अहमियत नहीं रखते।