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अनुभवी पिता के सीख / शिवराम

एक चुप्पी
हजार बलाओं को टालती है
चुप रहना सीख
सच बोलने का ठेका
तूने ही नहीं ले रखा है
दुनिया के फटे में टांग अडाने की
क्या पडी है तुझे
मीन मेख मत निकाल
जैसे और निकाल रहे हैं
तू भी अपना काम निकाल
जैसा भी है, यहां का तो यही दस्तूर है
जो हुजूर को पसंद आये वही हूर है
नैतिकता-फैतिकता का चक्कर छोड़
सब चरित्रवान भूखों मरते हैं
कोई धन्धा पकड़
एक के दो, दो के चार बना
सिद्वान्त और आदर्श नहीं चलते यहां
ये व्यवहार की दुनिया है
व्यावहारिकता सीख
अपनी जेब में चार पैसे कैसे आएं
इस पर नजर रख
किसी बड़े आदमी की दुम पकड़
तू भी किसी तरह बड़ा आदमी बन
फिर तेरे भी दुम होगी
दुमदार होगा तो दमदार भी होगा
दुम होगी तो दुम उठाने वाले भी होंगे
रुतबा होगा
धन-धरती, कार-कोठी सब होगा
ऐरों-गैरों को मुँह मत लगा
जैसों में उठेगा बैठेगा
वैसा ही तो बनेगा
जाजम पर नहीं तो भले ही जूतियों में बैठ
पर बड़े लोगों में उठ-बैठ
ये मूंछों पर ताव देना
चेहरे पर ठसक और चाल में अकड़
अच्छी बात नहीं है
रीढ़ की हड्डी और गरदन की पेशियों को
ढीला रखने का अभ्यास कर
मतलब पड़ने पर गधे को भी
बाप बनाना पड़ता है
गधों को बाप बनाना सीख
यहां खड़ा-खड़ा
मेरा मुंह क्या देख रहा है
समय खराब मत कर
शेयर मार्केट को समझ
घोटालों की टेकनिक पकड़
चंदे और कमीशनों का गणित सीख
कुछ भी कर
कैसे भी कर
सौ बातों की बात यही है कि
अपना घर भर
हिम्मत और सूझबूझ से काम ले
और, भगवान पर भरोसा रख