श्रावण की दूसरी रात, हस्पताल के पीछे पानी की हौद और पीले लेम्पपोस्ट के नीचे मोरचरी के पास हिरण आकर स्तब्ध सूँघ रहे है— मोरचरी में मेरा नहीं— जैसे हिरण का शव हो ।