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अपणि माटी-थाती रीत / दिनेश ध्यानी

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अपणि माटी-थाती कि रीत निभाणु रै
जब तलक ह्वै साक लाटा गौं जाणु रै।

डांडि कांठि गौ गळयों की खुद बिसराणु रै
आंद जांदा मनख्यौं म छ्वीं लगाणु रै।

डंड्यळि तिबारी चुल्लु चैक पाणी पंदेरा जै
छनि गुठ्यार गौडि भैंस्यों कि भुक्कि पेकि ऐ।

आरू तिमला बेडु ग्वीराळ तौ भेटिकि ऐ
रूडि गौं म जैलु लाटा काफळ तु खै।

बाळपन का नप्यां बाटा डांडि कांठ्यों जै
ग्वर बाटों की माटी थैं तु सीस म लगै।

नाता रिश्ता मौ मिटौण सबि निभाणु रै
दीसा ध्याणी म्यरा लाटा बिसरि तु नि जै।

बोलि-भाषा रीति रिवाज तौं बचाणु रै
गौं समाज म्यरा लाटा सबि चितळु कै।

पितृ भूमि को कर्ज त्वैं परै वै चुकाणु रै
कूडि पुंगडी म्यरा लाटा बंजेण न दे।