भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अपना बन्ना फूल गुलाबी, बन्नो चम्पे की कली / हिन्दी लोकगीत

Kavita Kosh से
सम्यक (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:07, 29 अक्टूबर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=हिन्दी }} <poem> अपना बन्ना …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अपना बन्ना फूल गुलाबी, बन्नो चम्पे की कली
इनकी मनोहर जोडी लागे कितनी भली
अपना बन्ना फूल गुलाबी, बन्नो चम्पे की कली
बहना के घर में ये पहली खुशी है
पहली खुशी बडी देर से मिली है
सपना पूरा हुआ, मन की आशा फली
इनकी मनोहर जोडी लागे कितनी भली
अपना बन्ना फूल गुलाबी, बन्नो चम्पे की कली
दिन रंग भरे आयेंगे, होगी हर रात दिवाली
संग ले के चली अपने घर, अब दिया जलाने वाली
प्यारे भैया ने पायी दुल्हन सांचे में ढली
इनकी मनोहर जोडी लागे कितनी भली
अपना बन्ना फूल गुलाबी, बन्नो चम्पे की कली