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अपनी असंगतियों में / शिवबहादुर सिंह भदौरिया

महानगर, नगर या कि गाँव,
कल-कूजन कहीं नहीं-
सिर्फ काँव काँव।
बड़े बड़े स्टूलों पर
खड़े कर दिये,
बौने बड़े कर दिये
क्या होगा रखकर
अंगद के पाँव।