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अपनी दाढ़ी को लेकर / शहंशाह आलम

कोई उठा था नाई से दाढ़ी बनवाकर
अभी-अभी नए सपने बुनते हुए
मेरी दाढ़ी लेकिन किसी फिल्म में
किसी टीवी सीरियल में
नाटक के किसी महत्त्वपूर्ण दृश्य में
काम करने की ख़ातिर
अथवा कवि-सा दिखने की ख़ातिर
नहीं बढ़ाई थी मैंने

दाढ़ी को रचा जा सकता था
पद्य की तरह गद्य की तरह
और सचमुच कठिन नहीं था ऐसा करना
मेरे लिए अज्ञात हरे पत्तों
अज्ञात पक्षियों को पुकारते हुए

फिर भादों के दिनों में
कबाड़िए को घर का कबाड़ बेचते हुए
अब्बू की दाढ़ीदार तस्वीर
लग गई थी मेरे हाथ
किसी चमत्कार की तरह
एक सज्जन-सी उदार और विनम्र तस्वीर
लगा था मेरी ही काया है उस तस्वीर में

मैं चाहता था पिता की देह को अपनी देह बनाना
पिता की तरह दाढ़ी रखकर
आस पास ही कोई गाए जाता था
बंजर ज़मीन के उपजाऊ होने का लोकगीत
ऐसा तो
ख़ुशी के संदर्भों
वसंत के दिनों में
होता था अमूमन

जबकि अब्बू ने बतलाया था कि
तालिबान के ध्वंस की घोषणा
अमेरिका कर चुका है बहुत पहले
फिर भी मेरे बच्चे
पिछले पखवाड़े एक आदमी को
जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
को देखते हुए वहां पर घूमते हुए
सिर्फ़ इसलिए पकड़ लिया था सुरक्षाकर्मियों ने
चूंकि उसको दाढ़ी थी

उस पिंक कलर वाली जैकेट पहने
अधेड़उम्र शख़्स की तो
इसलिए हत्या कर दी गई थी
क्योंकि हत्यारा उसकी दाढ़ी को देखकर
डर जाता था
ख़ौफज़दा हो जाता था बुरी तरह

फिर तुम मेरठ देख चुके हो
भागलपुर जमशेदपुर देख चुके हो
पूरे गुजरात को देख चुके हो

भय से भय से सिर्फ भय से
वीर्यपात कर रहा था यह समय
यह अनपेक्षित भी नहीं था
इस पूरे दृश्यफलक पर

कुछ अतिराष्ट्रवादी मित्रों ने तो
यहां तक कहा मुझसे कि
भाई शहंशाह, आप दाढ़ी बनवा लें प्लीज़

हर दाढ़ीदार आदमी को
शक के घेरे में लिया गया था
महामहिम के द्वारा
जबकि हत्यारा ख़ुद रखे हुए था दाढ़ी अरसे से

घुमक्कड़ी के इन दिवसों में
सोचा जाना चाहिए पूरी गंभीरता से
इस महासदी की
इस महाविडंबना पर
अपने-अपने उत्सवों को छोड़कर

काला पहाड़ और काला हुआ जाता था
उदास दिन और उदास
बीमार स्त्री और बीमार

मैं महामहिम के ख़ुतूत फाड़ता हूं
मैं महामहिम की नज़्मों को जलाता हूं

इस आदिकालीन समय को जीते हुए
मैं भी गाता हूं मैं भी अलापता हूं
सदियों से गाए जाने वाला कोई शोकगीत।