अपने अलावा ग़ौरतलब और कुछ न था,
रिश्तों के टूटने का सबब और कुछ न था ।
बस एक तुम्हारे नाम की हो उभरी हुई लकीर,
मेरी हथेलियों को तलब और कुछ न था ।
अपने अलावा ग़ौरतलब और कुछ न था,
रिश्तों के टूटने का सबब और कुछ न था ।
बस एक तुम्हारे नाम की हो उभरी हुई लकीर,
मेरी हथेलियों को तलब और कुछ न था ।