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"अपने खेत में / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

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अपने खेत में....
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जनवरी का प्रथम सप्ताह
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इत्मीनान से बैठा हूँ.....
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अपने खेत में हल चला रहा हूँ
 
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इन दिनों बुआई चल रही है
 
इन दिनों बुआई चल रही है
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मेरे लिए बीज जुटाती हैं
 
मेरे लिए बीज जुटाती हैं
 
हाँ, बीज में घुन लगा हो तो
 
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अंकुर कैसे निकलेंगे!
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अंकुर कैसे निकलेंगे !
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जाहिर है
 
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बाजारू बीजों की
 
बाजारू बीजों की
निर्मम छँटाई करूँगा
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निर्मम छटाई करूँगा
 
खाद और उर्वरक और
 
खाद और उर्वरक और
 
सिंचाई के साधनों में भी
 
सिंचाई के साधनों में भी
 
पहले से जियादा ही
 
पहले से जियादा ही
 
चौकसी बरतनी है
 
चौकसी बरतनी है
मकबूल फिदा हुसैन की
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मकबूल फ़िदा हुसैन की
 
चौंकाऊ या बाजारू टेकनीक
 
चौंकाऊ या बाजारू टेकनीक
 
हमारी खेती को चौपट
 
हमारी खेती को चौपट
कर देगी!
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कर देगी !
 
जी, आप
 
जी, आप
 
अपने रूमाल में
 
अपने रूमाल में
गाँठ बाँध लो, बिल्कुल!!
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गाँठ बाँध लो ! बिलकुल !!
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सामने, मकान मालिक की
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बीवी और उसकी छोरियाँ
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इशारे से इजा़ज़त माँग रही हैं
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हमारे इस छत पर आना चाहती हैं
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ना, बाबा ना !
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अभी हम हल चला रहे हैं
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आज ढाई बजे तक हमें
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बुआई करनी है....
 
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19:22, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

यहाँ पर कविता का कुछ अंश है | अगर आप के पास सम्पूर्ण कविता है तो कृपया उसे जोड़ दे |

अपने खेत में....

जनवरी का प्रथम सप्ताह
खुशग़वार दुपहरी धूप में...
इत्मीनान से बैठा हूँ.....

अपने खेत में हल चला रहा हूँ
इन दिनों बुआई चल रही है
इर्द-गिर्द की घटनाएँ ही
मेरे लिए बीज जुटाती हैं
हाँ, बीज में घुन लगा हो तो
अंकुर कैसे निकलेंगे !

जाहिर है
बाजारू बीजों की
निर्मम छटाई करूँगा
खाद और उर्वरक और
सिंचाई के साधनों में भी
पहले से जियादा ही
चौकसी बरतनी है
मकबूल फ़िदा हुसैन की
चौंकाऊ या बाजारू टेकनीक
हमारी खेती को चौपट
कर देगी !
जी, आप
अपने रूमाल में
गाँठ बाँध लो ! बिलकुल !!
सामने, मकान मालिक की
बीवी और उसकी छोरियाँ
इशारे से इजा़ज़त माँग रही हैं
हमारे इस छत पर आना चाहती हैं
ना, बाबा ना !

अभी हम हल चला रहे हैं
आज ढाई बजे तक हमें
बुआई करनी है....