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अपने तेॅ जाइ छोॅ हो मैया, देश रे विदेषबा / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अपने तेॅ जाइ छोॅ हो मैया, देश रे विदेषबा
हमरोॅ लेॅ लइहोॅ मैया, गहुमा सनेसबा
आबि गेलै हो मैया, छठि सन बरतिया
गहुम तॅ छै गे बहिन, बड़ रे महगबा
छोड़ि दहिन गे बहिन, छठि सन बरतिया
दीनानाथ देखलीन हो भैया, भाई रे भतिजबा
हम केना छोड़बै हो भैया, छठि सन बरतिया
ससुरा में देखलिन हो भैया, सासु ससुरबा
आरो जे देखलिन हो भैया, सीथ भरि सिनुरबा
हंसैतें-कनैतें रहै कोखि के बलकबा
हम केना छोड़बै हो भैया, छठि सन बरतिया
करबै-करबै हो भैया, छठि सन बरतिया
अपने तेॅ जाइ छोॅ भैया, देश रे विदेशबा
हमरा लेॅ लानिहोॅ भैया, केला सनेसबा......
नेने आबिहोॅ हो भैया, नारिकेर सनेसबा
नारिकेर तॅ छौ गे बहिन बड़ रे महगबा
छोड़ि दहिन अगे बहिन, चठि सन बरतिया
बेची देबै हो भैया, हाथ के कंगनमा
खरीद लेबै हो भैया, केरा नारिकेरबा
करी लेबै अहो भैया, छठि सन बरतिया।