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अपने देश में / भगवत रावत

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अपने देश में
पानी जब नहीं बरसता तो नहीं बरसता
आप चाहे जितना पसीना बहायें
सूखे गले से चाहे जितना चीखें चिल्लाएँ
एक एक बून्द के लिए कितना भी तरस- तरस जाएँ
पानी नहीं बरसता तो नहीं बरसता

लेकिन जब बरसता है तो बरसने के पहले ही बाढ़ आ जाती है
हर बरस हमारी ब्रह्मपुत्र ही सबसे पहले खबर देती है
कि बरसात आ गई
जब तक हमें खबर होती है तब तक सैंकड़ों गाँव
जलमग्न हो चुके होते हैं

जब मैं स्कूल में पढ़ता था, उन दिनों
अखबार में छपी, बाढ़ग्रस्त इलाके का मुआयना करती
किसी हेलिकोप्टर की तस्वीर से पता चलता था
अब इधर सुविधा हुई है
अब हम घरों में कुर्सी पर बैठे- बैठे डूबते गाँवों के
जीते- जागते दृश्य देखकर जान जाते हैं
कि बरसात आ गई है
हम हर साल इसी तरह बरसात के
आने का इंतजार करते हैं