Last modified on 30 दिसम्बर 2018, at 15:24

अपने नसीब को न बार-बार कोसिये / डी. एम. मिश्र

अपने नसीब को न बार-बार कोसिये
जो हो गया सो हो गया आगे की सेाचिये

आये जो क़यामत तो सभी तर्क व्यर्थ हैं
जनता का फ़ैसला है इसे मान लीजिए

कल तक जो आपका था पराया हुआ वो क्यों
मुझसे नहीं ये बात अपने दिल से पूछिये

ये इश्क़ नहीं आपका जुनून है जनाब
क्या-क्या सितम सहेंगे इसके बाद देखिये

माना कि खुशी मिल गयी है आज बेहिसाब
कल के लिए रुमाल मगर रख तो लीजिए

यह मुल्क हमारा, यहाँ के लोग हमारे
यह बात एक पल के लिए भी न भूलिए