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अपने पानी में / प्रेमशंकर शुक्ल

अपने पानी में
जब तुम मुस्‍कराती हो
बड़ी झील !
तुम्‍हारी डिम्‍पल देखते ही बनती है
उन डिम्‍पल में
बड़ा अदब है
गज़ब है !
उन बल में
रूह-ए-सुकून की जगह

रूह-ए-सुकून की जगह
बड़ी झील !

बड़ी झील से
दुआ-सलाम के बिना
अपने आफ़ताब को भी
ख़ुशी का आब कहाँ मिलता है !