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अपने महबूब से / चेतन दुबे 'अनिल'

तुम्हारे सामने तुमसे
तुम्हारी ही शिकायत है
कि जितना बेवफ़ा समझा था
तुम उससे अधिक निकले।

तुम्हारी झील - सी गहरी
इन आँखों की इनायत है।
तुम्हारी ही गली के मोड़ पर
मेरे कदम फिसले।

ये मेरी भूल थी जो
मैंने तुमको बेवफ़ा समझा
मगर तुम बेवफ़ाओं
से भी आगे दो कदम निकले।

तुम्हारे प्यार की तासीर में
बेचैन मेरा दिल
यही ख्वाहिश।
तुम्हारे द्वार पर ही
मेरा दम निकले।