भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अप्पन होली आझे मनतो / सच्चिदानंद प्रेमी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अप्पन होली आझे मनतो।
दरकल दिल के जोड़ रहल ही
कर के जतन अनोखा
का कहियो अपने भईबा तो
देलक हमरा धोखा
छोड़ऽ इसब मन के मारऽ
काम राग रंग फागे मचतो