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अप्प दीपो भव / राहुल 4 / कुमार रवींद्र

राहुल ने सुनी
मनोयोग से
       शाश्वत बुद्धवाणी वह

'और देह में जो दुख
अँधियारे बोता है
वही, सुनो, साँसों में
उजियारे बोता है

'कोई भी पीड़ा हो
जानो वह
होती है नहीं कभी भी दुस्सह

एक और सत्य है
माँजता हमें है दुख बार-बार
जन्मों-जन्मों का दुख
साँसों पर है उधार

'उसे जियो सहज भाव
और बहो
          जैसे है नदी रह बह

'एक सत्य अंतिम है
करुणा का - उसे गुनो
मिथ्या सुख के ताने-बाने
व्यर्थ नहीं बुनो'

मौन हुए गौतम थे
गूँज रही थी
      उनकी बानी रह-रह