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अफ़साने प्रेम के / कुमार मंगलम

1
दरख़्त अफ़साने सुनायेंगे
प्रेम के

सदियों तक गवाही देते रहेंगे
कि हमने जो किया वह
प्रेम नहीं
विद्रोह था ।

2
सफर के गवाह
केवल प्रतीकों में नहीं

छवियों में
कैद हैं

कुछ घटनाएं
अनकही हैं
उन्मुक्त मन की उड़ान में
याद आयेंगी कभी

3
जमाना गुजरा
कदमों के निशान
बहुतेरे होंगे
पत्थर कुछ मुलायम जरूर हुए होंगे

प्रस्तर और मूर्तियों में
जो बचा
वो अठखेलियां होंगी हमारी