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अबला-३.परित्यक्ता बनने के बाद / मनोज श्रीवास्तव

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परित्यक्ता बनने के बाद

वह गर्भ में ही लहूलुहान हो गयी थी
लिंग परीक्षण ने विभूषित किया था उसे
पराए धन की उपाधि से

विवाह पर उसने खुद को कृतार्थ माना,
सार्थक समझा स्वयं को
ससुराल की तिजोरी का अंतर्वस्तु बनकर
आखिरकार, मान ही लिया गया उसे
नए घर की बरक़त

तब से वह अफरात इजाफा ही करती रही है
अपने से लग रहे घर के यश-धन में,
एक दिन अकारण उसके अपने ने
दागी उस पर तोहमतों की तोप
और थमाकर उसके हाथों कुछ दस्तावेज़
खदेड़ दिया फुटपाथी बस्तियों में

अब वह कोई धन नहीं रही
कुत्ते तक उसे चाटते नहीं
पराए धन के मालिक भी
इस सामाजिक छीजन पर थूक गए