Last modified on 26 जनवरी 2022, at 18:24

अब्बर्पहाडको सवाई (४१-५०) / धनवीर भँडारी

Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:24, 26 जनवरी 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धनवीर भँडारी |अनुवादक= |संग्रह=अब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उड़न लाग्यो तोप गोला बन्दुकका पर्रा ।
भेटिए छ बल्ल अब आँखा भया टर्रा ।।
तोपका गोला जाँदा किल्ला भित्र पस्थे ।
अलि अलि अब्बरले जङ्गलतिर सर्दा ॥४३॥