Last modified on 23 फ़रवरी 2011, at 04:02

अब-उम्र / निवेदिता

अब जो आई है वो
साथ लाई है हर मौसम का रंग
ये मौसम है नर्म पत्तों का
ये मौसम है सुर्ख़ गुलाबों का
खिले हैं प्यार के हज़ार रंग
यह इक रंग ऐसा है जो हर रंग पर पड़े है भारी
देखो उम्र के चेहरे पर फैली है लाली