Last modified on 6 नवम्बर 2017, at 00:54

अब आई बरसात / महेश कटारे सुगम

बन्दर बोला, सुनो बन्दरिया
अब आई बरसात।
पानी बरसे, बिजली चमके
क्या होंगे हालात।

तभी बन्दरिया बोली हँसकर
क्यों मन में घबराओ।
जाकर तुम बाज़ार बड़ा-सा
एक छाता ले आओ।

उसके नीचे हम मस्ती में
उछलेंगे - कूदेंगे।
ख़ूब बरसते पानी में भी
निर्भय हो घूमेंगे।