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अब आदमी का इक नया / अनन्त आलोक

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अब आदमी का इक नया प्रकार हो गया,
आदमी का आदमी शिकार हो गया,
जरुरत नहीं आखेट को अब कानन गमन की,
शहर में ही गोश्त का बाजार हो गया |