अब आ जा रे मुरली वाले झलक दिखा जा।
हाँ प्यासे नैनों का प्यास बुझा जा॥
उजड़ी सी झोपड़ी में बुलाता हूँ तुझे श्याम।
बीराने में मेहमान बनाता हूँ तुझे श्याम।
गर तुमको ग़रीबों की गरीबी से प्यार है।
तो मुझ गरीब को भी तेरा इन्तजार है॥
हाँ दिल के दर्द को आकर मिटा जा।
अब आ जा रे मुरली वाले झलक दिखा जा।
वन्दन के लिए वेद का साधन भी नहीं है॥
पूजन के लिए धूप या चंदन भी नहीं है।
अर्पण करूँ तो क्या करूँ फल फूल भी है।
भोजन धरूँ तो क्या धरूँ कंद मूल भी नहीं है॥
हाँ रूखी भाजी का भोग लगा जा॥
अब आ जा रे मुरली वाले झलक दिखा जा।
पूजा भी करूँगा तो मैं इस तौर करूँगा।
धनहीनता की धूप को सुयश से धरूँगा।
दुःख दोष का दुर्भाग्य का दे दूँगा दीपदान।
नैवेद्य निर्बलत्व का पीड़ित दशा का पान।
हाँ ऐसे पूजन का मान बढ़ा जा॥
अब आ जा रे मुरली वाले झलक दिखा जा।
काया जमीं पर पै बोए हैं कुछ बीज तेरे नाम।
घनश्याम इनके वास्ते बनना तुम्हीं घनश्याम।
अब इस दुखी इंसान की तुझपर ही नज़र है।
दो चार दया बिन्दु, बरसाने की कसर है॥
हाँ सूखी खेती की सब्जी बना जा॥
अब आ जा रे मुरली वाले झलक दिखा जा।