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अब उसकी बज़्म में कौन आएगा खुदा जाने / कांतिमोहन 'सोज़'
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अब उसकी बज़्म में कौन आएगा खुदा जाने I
सुना है शमा से बदज़न हुए हैं परवाने II
जो रोज़ बढ़के मेरा जाम छीन लेते थे
वो आज मुझको लिए जा रहे हैं मयखाने I
नयी सदी में नए हादिसे तो होने हैं
सुना है होश की पीने लगे हैं दीवाने I
ग़ज़ल का फिर से सितारा बुलन्द होना है
खुदा करे रहें सालिम ग़ज़ल के दीवाने I
चमन के अश्क न पोंछो वो दर्द से पुर है
चमन के हाल पे हंसते हैं आज वीराने I
उसी के नाम पे सजती थी सोज़ की महफ़िल
उसी के नाम पे छलका करेंगे पैमाने II