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अब क्या माँगूँ आगे ! / गुलाब खंडेलवाल

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अब क्या माँगूँ आगे!
सब कुछ तो दे डाला तुमने पहले ही बेमाँगे

काक मानसर में जा पिता
रजकण रत्नमुकुट पर बैठा
फिरे नहीं क्यों ऐंठा-ऐंठा
भाग्य अचानक जागे !

यही विनय है, छोड़ न देना
किया दिये से जोड़ न देना
बीच नृत्य के तोड़ न देना
कठपुतली के धागे

अब क्या माँगूँ आगे!
सब कुछ तो दे डाला तुमने पहले ही बेमाँगे