भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अब गुरु सरन लियो तक तेरो / संत जूड़ीराम
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:03, 29 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संत जूड़ीराम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अब गुरु सरन लियो तक तेरो।
करो आनंद फंद नहि व्यापें दुरमत दुविदा दूर खदेरो।
बहो जात भौसागर मांही बांह पकर गुरु मोहु उबेरो।
जान अनाथ नाथ अपनो कर राम नाम को करो बसेरो।
ठाकुरदास मिले गुरु पूरे जूड़ीराम चरन को चेरो।