भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अब तबस्सुम भी कहाँ हुस्न का इज़हार लगे / रवि सिन्हा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अब तबस्सुम<ref>मुस्कान (smile)</ref> भी कहाँ हुस्न का इज़हार<ref>प्रकट होना (manifestation)</ref> लगे
शाहिद<ref>गवाह (witness)</ref>-ए-गुल कह दे बाग़ ये बाज़ार लगे

ग़र्क़े<ref>डूबा हुआ (drowned)</ref>-दरिया थे तहे-आब<ref>पानी के नीचे (under water)</ref> सफ़र होना था
जो उधर ज़ीस्त<ref>जीवन (life)</ref> में डूबे तो इधर पार लगे

हाँ तग़ाफ़ुल<ref>उपेक्षा (neglect)</ref> तो है उम्मीद मगर बाक़ी है
अपना होना भी न होना भी याँ दुश्वार लगे

रश्के<ref>ईर्ष्या (envy)</ref>-फ़िरदौस<ref>स्वर्ग (paradise)</ref> मुअ'ल्लक़<ref>टँगा हुआ (suspended)</ref> है तसव्वुर में जहान
जो उतर आए तो फिर रोज़ का संसार लगे

लड़खड़ाती सी चले है ये सरे-राहे-जदीद<ref>आधुनिकता के रास्ते पर (on the road to modernity)</ref>
क़ौम ये अपनी क़दामत<ref>प्राचीनता (ancient-ness)</ref> से ही सरशार<ref>नशे में (drunk)</ref> लगे

ये ज़मीं ज़हर पिलाती है यहाँ पौधों को
और हैरत है तुम्हें बाग़ ये बीमार लगे

क़त्ल मासूम हुए तख़्त-नशीं है क़ातिल
मुझको ये मुल्क समूचा ही गुनहगार लगे

गो ज़लाज़िल<ref>भूकम्प (बहु.) (earthquakes)</ref> को गिराने थे मकानात सभी
क़स्र<ref>भवन (mansion)</ref> जो एक खड़ा है वही मिस्मार<ref>तबाह (destroyed)</ref> लगे

फ़िक्र का रंग तग़ज़्ज़ुल<ref>ग़ज़ल का रंग (colour of the Gazal)</ref> में मिलाया जाये
अर्ज़े-उल्फ़त<ref>प्रेम निवेदन (solicitation of love)</ref> भी उन्हें जग से सरोकार लगे

शब्दार्थ
<references/>