Last modified on 3 अगस्त 2020, at 13:04

अब तू ही बता / सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'

बाबू तेरी जन्मतिथि पर
कैसे पुष्प चढ़ाने आए
लिए हाथ में श्रद्धा सुमन
कैसे तेरी ओर क़दम बढ़ाएँ?

जिस भारत माँ की कोख को तुमने
उपवन-सा महकाया था
जहाँ खिलाए अहिंसा पुष्प
वही सत्य सुगंध फैलाया था।

लेकिन बापू आज तो देखो
तेरे उपवन को उजाड़ रहे हैं
तूने जो भारत बनाया उसको
आतंक लौ में जला रहे हैं।

कहीं प्रभाकरन, कहीं वीरप्पन
आतंकवादी मसूद अजहर ने
बापू तेरी अहिंसा को
खुले बाज़ार सूली चढ़ा रही है।