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अब तो जागे भाग हमारे / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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 अब तो जागे भाग हमारे,
  हम पै टूठि ग‌ए भगवान।
   टूठि ग‌ए भगवान
    हम पै रीझि ग‌ए भगवान॥

 कुंवरि-जनम सुनत रति बाढ़ी,
  सजि सुठि साज, सँवारत दाढ़ी,
   नाचत-गावत आयौ ढाढ़ी,
    करतौ जै-जैकार॥-(अब तो०)

 भाग्य हमारे कुंवरि जा‌ई,
  भ‌ई आज हमरी मनभा‌ई।
    बहुत दिनन की आस पुरा‌ई
      जीवन की सब आस पुरा‌ई
       कहत पुकार-पुकार॥-(अब तो०)

 बेटा, बेटी, बहू, लुगा‌ई,
  रुके न घर, आ‌ए हरषा‌ई।
    देत असीसें करत बड़ा‌ई,
     जी भर बारंबार॥-(अब तो०)

 जुग-जुग जीवौ कुंवरि प्यारी,
  अचल सुहाग मिलै सुख-झारी।
   हौ दो‌उन कुल की उजियारी,
    कीरति बढ़ै अपार॥-(अब तो०)

 स्वामी मिलै नंद कौ लाला,
  रूप-गुननि में सब तें आला।
   पहिरैं गुंजा-मोती माला,
    सोभा कौ सिंगार॥-(अब तो०)

 अग-जग सब ही कौं सुख देवै,
  का‌ऊ तें न कबहुँ कछु लेवै।
    तन-मन सों भरतारहि सेवै,
     जानि-सार-कौ-सार॥-(अब तो०)

 बिनय भरी सुनि ढाढ़ी बानी,
  कीर्ति कृपामयि हिय हुलसानी।
   दिखरायौ लाली-मुख रानी,
    काजर-रेख सँवार॥-(अब तो०)

 देखि कुँवारि, सो अति हरषायौ,
  बोल्यौ-मैं सब ही कछु पायौ॥
   बोल्यौ-मैं जीवन-फल पायो।
    अब तो केवल लाली कौ दरसन नित भायौ,
     सो मिलै भीख सरकार॥-(अब तो०)

 बाँधि मँढ़ैया रहूँ यहीं पर,
  होऊँ नित निहाल दरसन कर।
   लाली कौ मुख मधुर मनोहर,
    मिलै मोय अधिकार॥-(अब तो०)