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अब तो तमाम शहर में चर्चा है आपका / साग़र निज़ामी

अब तो तमाम शहर में चर्चा है आपका ।
फिर किसलिए हुज़ूर ये परदा है आपका ।

हम आपके हुए तो नई बात क्या हुई,
कहते हैं लोग सारा ज़माना है आपका ।

होता है हर मुकाम पे अहसास अब यही,
जैसे हमारे साथ में साया है आपका ।

अब जाके शहकार हुई है मेरी ग़ज़ल,
बरसों ख़याल में तराशा है आपका ।