अब दिखाएगा वो जमाल कहाँ I
अब मुझे ख़्वाहिशे-विसाल कहाँ II
कोई ख़्वाहिश कोई सवाल कहाँ I
पर मेरे दिल में है मलाल कहाँ II
एक लम्हे की है तलाश मुझे
अब मुझे फ़िक्रे-माहो-साल कहाँ I
कौन बाँधेगा किसको बाँधेगा
अर्श पर क़ुमक़ुमों का जाल कहाँ I
मैं तो अपनी तलाश में गुम हूँ
तू कहाँ और तेरा ख़याल कहाँ I
सख़्त पसमांदगी का मंज़र है
अब लहू में कोई उबाल कहाँ I
वो भी ग़ालिब का है पनाहगुज़ीर
सोज़ के पास अपना माल कहाँ II