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"अब न जाने की करो बात, करीब आ जाओ / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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अब न जाने की करो बात, करीब आ जाओ  
 
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  ख़त्म होगी न ये बरसात, करीब आ जाओ
 
  ख़त्म होगी न ये बरसात, करीब आ जाओ

08:07, 6 अगस्त 2009 का अवतरण


अब न जाने की करो बात, करीब आ जाओ
 ख़त्म होगी न ये बरसात, करीब आ जाओ

सो न जाए कोई, चुप, करवटें बदलता हुआ
आख़िरी प्यार की है रात, करीब आ जाओ

पास रहकर भी रहें दूर उम्र भर के लिए!
यह भी अच्छी है मुलाक़ात, करीब आ जाओ

दो दिलों बीच ज़रूरत ही किसी की क्या है!
तुमसे कहनी है कोई बात, करीब आ जाओ

फिर न लौटेंगे कभी बाग़ की डालों पे गुलाब
फिर न पाओगे ये सौगात, करीब आ जाओ